होलिका दहन के समय राशियों के अनुसार करें उपाय

Take measures according to your zodiac sign at the time of Holika Dahan
Take measures according to your zodiac sign at the time of Holika Dahan

फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी होलिका दहन के एक दिन बाद चंद्र ग्रहण लगाने वाला है। दरअसल 14 मार्च को भी पूर्णिमा रहेगी। इस बार सूर्य का राशि परिवर्तन और चंद्र ग्रहण दोनों एक दिन पड़ रहे हैं। दरअसल सूर्य हर माह राशि परिवर्तन करते हैं। इस बार सूर्य का राशि परिवर्तन 14 मार्च को होगा और तभी चंद्र ग्रहण लग रहा है। सूर्य इस बार गुरु की राशि मीन में जा रहे हैं। इस राशि में मार्च में शनि भी आ जाएंगे।

बता दें कि यह चंद्रग्रहण खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण के सूतक काल पर विचार किया जाना बहुत जरूरी है। दरअसल चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा। Holika Dahan

बता दें कि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। जो ग्रहण जिस देश में नहीं दिखता, तब उसका प्रभाव वहां नहीं माना जाता। इस प्रकार होली पर पड़ने वाले चंद्र ग्रहण का कोई असर भारत में धार्मिक तौर पर नहीं होगा। हालांकि विभिन्न राशियों पर इसका असर हो सकता है। Holi Festival

होली कब है, होली का शुभ मुहूर्त

इस साल 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि है, सुबह 10:36 बजे भद्रा काल शुरू हो जाएगा। इसी दिन होलिका का पूजन रात में होलिका दहन भद्रा के समाप्त होने के बाद 11.28 पर किया जाएगा। आपको बता दें कि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे होगी। इसका समापन 14 मार्च को दोपहर 12:35 बजे होगा।

इस बार होलिका दहन का त्यौहार 13 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा 13 मार्च को होलिका का दहन होगा और 14 मार्च शुक्रवार को रंगो की होली धुरेडी 16 मार्च रविवार को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा 19 मार्च बुधवारको रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा इस बार होलिका दहन स्थिर लग्न और लाभ की चौघड़िया में होगा स्थिर लग्न गुरुवार को रात्रि में 10:53 से 1:09 तक वृश्चिक लग्न रहेगी इसी के साथ रात्रि में 12 से लाभ का चौघड़िया रहेगा होलिका का पूजन गुरुवार को शाम को 6 से 9 के बीच में कर सकते हैं इस बार होलिका दहन पर भद्रा की छाया रहेगी धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है इस वर्ष होलिका दहन पर भद्रा रहेगी धर्म शास्त्रों के अनुसार भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है 13 मार्च गुरुवार को भद्रा प्रातः 10:37 से रात्रि 11:28 तक रहेगी होलिका दहन भद्रा रहित होना चाहिए इस कारण होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रोपरांत मध्य रात्रि में 11 वजकर 28मिनट से 12वजकर 30 मिनट के वीच करना शुभ रहेगा शास्त्रों के मतानुसार भद्रा में होलिका दहन रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य वर्जित है यदि भद्रा में होलिका दहन करते हैं तो राजा एवं प्रजा दोनों को अशुभ कारक होता है धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि धर्म सिंधु निर्णय सिंधु ग्रंथोके अनुसार पूर्णिमा तिथि प्रदोष काल में रहे उसी दिन होलिका दहन करना चाहिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है चूंकि इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष 14 तिथि 13 मार्च गुरुवार को प्रातः 10:37 तक रहेगी इसके उपरांत पूर्णिमा तिथि गुरुवार को 10:37 से प्रारंभ होकर 14 मार्च शुक्रवार को दिन में 12:25 तक रहेगी गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होते ही भद्रा प्रारंभ हो जाएगी और रात्रि में 11:28 तक रहेगी

होलिका का महत्व

होली जहां एक और एक सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है वही यह रंगों का त्यौहार भी है बालक वृद्ध नर नारी सभी इस बड़े उत्साह से मानते हैं यह एक देशव्यापी त्यौहार भी है इसमें वर्ण अथवा जाति भेद को कोई स्थान नहीं है इस अवसर पर लकडियो तथा कंडों आदि का ढेर लगाकर होलीका पूजन किया जाता है फिर उसमें आग लगाई जाती है

होलिका दहन को लेकर क्या है परंपराएं

इस पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ पर भी कहा जाता है खेत से नवीन अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परंपरा भी है उस अन्न को होला कहते हैं इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा ऐसी मानता है कि इस पर्व का संबंध काम दहन से है भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था holi muhurat

यह त्योहार हिरण्यकशिपुकी बहन की स्मृति में मनाया जाता है कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु की बहन होलीका वरदान के प्रभाव से नित्य प्रति अग्नि स्नान करती थी और जलती नहीं थी हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन से पहलाद को गोद में लेकर अग्नि स्नान करने को कहा उसने समझा था कि ऐसा करने से पहलाद जल जाएगा तथा होलिका वच निकलेगी हिरण्यकशिपु की बहन ने ऐसा ही किया होलीका तो जल गई किंतु पहलाद जीवित बच गए तभी से इस त्यौहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी

होलिका का पर्व प्रेम एकता और भाईचारे का पर्व

होली सम्मिलन मित्रता एवं एकता का पर्व है इस दिन द्वेष भाव भूल कर सबसे प्रेम और भाईचारे से मिलना चाहिए एकता सद्भावना एवं सोल्लासका परिचय देना चाहिए यही इस पर्व का मूल उद्देश्य एवं संदेश है

सुख शांति समृद्धि और स्वास्थ्य के लाभ के लिए होलिका दहन के समय राशियों के अनुसार करें उपाय

मेष राशि होलिका दहन में जौ गुड़ व लाल चंदन खैर की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
वृषभ राशि होलिका दहन में मिश्री एवं नारियल ऊमर की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
मिथुन राशि होलिका दहन में कपूर एवं इलायची आदरझाडा की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
कर्क राशि होलिका दहन में चावल सफेद तिल एवं छोले की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
सिंह राशि होलिका दहन में जो गूगल गुड़ एवं अकाऊया की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
कन्या राशि होलिका दहन में पान हरी इलायची एवं आदर झाड़ा की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
तुला राशि होलिका दहन में कपूर बताशा सफेद तिल एवं ऊमर की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
वृश्चिक राशि होलिका दहन में गुड लाल चंदन खैर की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
धनु राशि होलिका दहन में हल्दी की गांठ नारियल पीला फल और पीपल की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
मकर राशि होलिका दहन में काले तिल लौग शमी की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
कुंभ राशि होलिका दहन में काली सरसों गूगल लौग शमी की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं
मीन राशि होलिका दहन में पीली सरसों हल्दी घी एवं पीपल की लकड़ी की आहुति चढ़ाएं

source – pandit atul