दो मुख्यमंत्रियों को चुनाव से पहले जेल भेजने की तैयारी

Preparation to send two Chief Ministers to jail before the elections
Preparation to send two Chief Ministers to jail before the elections

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश के दो मुख्यमंत्रियों पर गिरफ्तारी के बादल मंडराने लगे हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव से पहले जेल भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने आज फिर तीसरी बार अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को फिर बुलाया है। उधर झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन ने विधायक दल की बैठक बुलाई है जिसमें उनकी पत्नी कल्यना सोरेन को मुख्यमंत्री पद सौंपा जा सकता है।

शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीसरा नोटिस भेजा है. हालांकि, ईडी के तीसरे नोटिस के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पेश नहीं होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से नोटिस को लेकर कहा गया है कि चुनाव प्रचार से रोकने के लिए केजरीवाल को गिरफ्तार करने की साजिश चल रही है. आप का कहना है कि केजरीवाल जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। आम आदमी पार्टी ने बताया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय के समन पर नहीं जाने वाले हैं. पार्टी ने ईडी के समन पर सवाल भी उठाए हैं. आप का कहना है कि केजरीवाल ईडी की जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन नोटिस पूरी तरह से गैर-कानूनी है। पार्टी ने सवाल किया है कि चुनाव से ठीक पहले ही नोटिस क्यों भेजा गया. इनकी नीयत केजरीवाल को गिरफ्तार करने की है. ये दिल्ली सीएम को चुनाव प्रचार से रोकना चाहते हैं। उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को दुमका परिसदन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जब ऐसा लगा कि वह जेल जाने के करीब हैं तो अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने को तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए गांडेय के झामुमो विधायक सरफराज अहमद का इस्तीफा कराया गया है।

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बाबूलाल ने कहा कि राज्य में एक चार फिर से संवैधानिक संकट उत्पन्न होने की स्थिति है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह पता है कि उनकी पत्नी अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। बाबूलाल ने महाराष्ट्र हाइकोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम वक्त है और कोर्ट के उस आदेश के मुताबिक एक साल से कम समय रहने पर विधानसभा उपचुनाव कराया जाना असंवैधानिक है। झारखंड में पिछला विधानसभा चुनाव का परिणाम जिस दिन से आया है, उस दिन से ही चुनाव आयोग विधानसभा का गठन कर दी है। ऐसी परिस्थिति में झारखंड में भी उपचुनाव कराया जाना असंवैधानिक होगा, क्योंकि अब यहां भी एक साल से कम बचा है। मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगर ऐसा निर्णय लेते हैं तो यह उनकी दूसरी बड़ी गलती होगा। चाबूलाल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री का ऐसा कोई भी प्रस्ताव आता है तो भाजपा राज्यपाल से मिलकर इस मामले में अटानी जनरल से सलाह लेने व विधि-सम्मत कदम उठाए जाने की मांग करेगी। चाबूलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऐसे कदम से एक बार फिर झारखंड का मजाक बन सकता है।