100 साल पुरानी प्राचीन परम्परा के साथ दत्त जयंति उत्सव संपन्न
जांगड़ा पोरवाल समाज, इन्दौर द्वारा 100 वर्षो से चली आ रही परम्परा के साथ दत्त जयंति का उत्सव साधु संतो के सानिध्य में नरसिंह मंदिर छत्रीबाग, पोरवाल समाज परिसर, इंदौर पर मनाया गया ।
धर्म ध्वजा दण्ड- ये प्रतीक है इंदौर जाँगड़ा पोरवाल समाज/ लक्ष्मी नृसिंह मंदिर की अस्मिता एवं अस्तित्व का। यह धर्म ध्वजा दण्ड प्रतीक है पोरवाल समाज की परंपरा का । पोरवाल पंचायती सभा की लगभग १०० वर्षों पुरानी इस परंपरा को आज तक निर्बाध रूप से पोरवाल समाज मनाता आ रहा हैं ।
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वर्षों पूर्व ७ दिवसीय बाद में ३ दिवसीय दत्त जयंती कार्यक्रम में रात्रि कालीन भजन/ जोत/ पाठ/प्रभातिये गाये जाते थे । मंदिर मंडल के समस्त शिखर पर ध्वज बदले जाते थे ।पंचायती ढोल बजता था । पंचायती सभा द्वारा मंदिर के पुजारी/ महाराज का शाल/ दुपट्टा/ वस्त्र आदि से अभिनंदन किया जाता था जो उनके प्रति समाज का कृतज्ञता के भाव का द्योतक था । समय के साथ अब एक दिवसीय कार्यक्रम ही होता है, पर इन सारी परंपराओं को आज भी समाज ने अक्षुण्ण रखा है। धर्म ध्वज पर चाँदी के पैन पर स्वस्तिक एवं शुभ के प्रतीक चिह्न अंकित रहते है जो प्रगति का प्रतीक हैं । धर्म ध्वजा को पूरे मंदिर परिसर में घुमाया जाता है।
इस अवसर पर प्रति वर्ष रामस्नेही संत श्री रामदयाल जी के पावन प्रवचन आशीर्वाद का लाभ भी समाज जन को प्राप्त होता है, इस वर्ष संतश्री की अस्वस्थता के चलते रामस्नेही संप्रदाय के अन्य प्रमुख संत उपस्थित रहे। इस अवसर पर कड़ाके की सर्दी के बावजूद बड़ी संख्या में समाज बंधुओ ने उत्साह, आनंदपूर्वक धर्म सत्संग का लाभ लिया ।
साभार:
संजय मेहता
शैलेन्द्र पोरवाल