Health: विश्व दृष्टि दिवस पर विशेष

आंखे है अनमोल, सावधानी और उचित देखभाल है आवश्यक

Special on World Sight Day
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इंदौर विश्व दृष्टि दिवस प्रत्येक वर्ष 12 अक्टूबर माह को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य दृष्टि और नेत्र स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के संबंध में जन जागरूकता पर जोर देना है। यह दिन हमें अपनी आँखों की देखभाल की याद दिलाता है और दुनिया भर में दृष्टिबाधित लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है। विश्व दृष्टि दिवस की शुरुआत लायंस क्लब इंटरनेशनल ने 1998 में की थी, जिसके बाद यह दिवस विजन 2020 में शामिल किया गया, जो कि अंतरराष्ट्रीय अंधेपन निवारण एजेंसी के नेतृत्व में एक वैश्विक परियोजना है।

नेत्र रोग कई प्रकार के होते है। इसमें प्रमुख मायोपिया (निकट दृष्टि) जिस कारण से दूर की वस्तुओं को देखने तथा हाइपरमेट्रोपिया (दूर दृष्टि) इसमें निकट की वस्तुओं को देखने में परेशानी होती है। एस्टिगमेटिज्म में आंख की आकृति में असमानता के कारण दृष्टि में परेशानी होती है। प्रेसबायोपिया उम्र बढ़ने के साथ निकट दृष्टि में कमी होती है। कैटरैक्ट (मोतियाबिंद) इसमें आंख के लेंस में धुंधलापन होता है। ग्लूकोमा (नेत्र दबाव) के कारण आंख के दबाव में वृद्धि होती है। डायबेटिक रेटिनोपैथी जिसमें मधुमेह के कारण आंख की रक्त वाहिकाओं में नुकसान होता है। मैकुलर डिजनरेशन में आंख के मैकुला में नुकसान होता है। अम्ब्ल्योपिया (लंगोट दृष्टि) जिसमें आंख की मांसपेशियों में कमजोरी होती है। कंजंक्टिवाइटिस (आंखों की लालिमा) इसमें आंखों की सूजन होती है। केराटाइटिस (कॉर्निया सूजन) में आंख के कॉर्निया में सूजन हो जाती है। रेटिनल डिटैचमेंट (रेटिना का टूटना) में आंख के रेटिना में टूटना होता है। ऑप्टिकल न्यूराइटिस (ऑप्टिक तंत्रिका सूजन) में आंख की ऑप्टिक तंत्रिका में सूजन हो जाती है। न्यूरो रेटिनिटिस (न्यूरो-रेटिनल सूजन) में आंख के न्यूरो-रेटिनल ऊतक में सूजन होती है। इन नेत्र रोगों के अलावा भी कई अन्य नेत्र रोग होते हैं, जिन्हें समय पर पहचान कर उपचार करना आवश्यक है। नियमित आंखों की जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर नेत्र रोगों को रोका जा सकता है।

नेत्र रोग और उनके कारण

नेत्र रोग होने के प्रमुख कारण मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) है, इसमें उम्र बढ़ने, चोट या विकिरण के कारण लेंस में धुंधलापन आ जाता है। ग्लूकोमा (नेत्र दाब) जिससे आंख में दबाव बढ़ने से ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है। मैकुलर डिजनरेशन जिसके कारण उम्र बढ़ने से रेटिना में समस्या होती है, और दृष्टि कम हो जाती है। डायबेटिक रेटिनोपैथी जिसमें मधुमेह से रेटिना में रक्त वाहिकाएं खराब होती हैं। नेत्र संक्रमण जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण आंख में संक्रमण होता है। दुर्घटना या चोट लगने से नेत्र रोग हो सकता है। कुछ नेत्र रोग आनुवंशिक होते है, जिससे विकार होता है। विटामिन ए की कमी से रतौंधी हो सकता है। धूम्रपान और शराब के सेवन तथा उम्र बढ़ने से नेत्र रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा से युक्त आई हॉस्पिटल आँखों के मरीजों के लिए बन रहा है वरदान

इंदौर में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा से युक्त आई हॉस्पिटल से इंदौर ही नहीं बल्कि इंदौर संभाग और आसपास के जिलों के बड़ी संख्या में आँखों के मरीजों को सीधा लाभ पहुंच रहा है। यह आँखों के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस विशेष हॉस्पिटल में आँखों के जटिल से जटिल ऑपरेशन भी हो रहें हैं। इस अस्पताल में आँखों के इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीनें और विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद है। यह नेत्र चिकित्सालय प्रदेश का एक मात्र शासकीय सुपर स्पेशलिटी नेत्र चिकित्सालय है। Special on World Sight Day

एमजीएम मेडिकल कालेज इन्दौर से संबंद्ध स्कूल फॉर एक्सीलेंस फॉर आई हॉस्पिटल की स्थापना वर्ष फरवरी 2022 में हुई। वर्ष 2022-23 में यहां 25 हजार 390 मरीज ओपीडी के माध्यम से आंखों संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए आए। इसी वर्ष 1530 व्यक्तियों के ऑपरेशन हुए। वर्ष 2023-24 में 53 हजार 950 मरीजों का इलाज हुआ जिसमें से 4188 मरीजों का ऑपरेशन हुआ। वर्ष 2024 के प्रारंभ से 30 सितंबर तक 36 हजार 522 मरीजों का इलाज हुआ तथा 3319 मरीजों के ऑपरेशन हुए। यहां 5 ब्रांच के माध्यम से ग्लूकोमा (काला पानी), कैटरेक्ट (मोतियाबिंद), कॉर्निया, रिफ्रैक्टिव सर्जरी, रेटिना आंखों के पर्दे एवं आंखों के तिरछेपन के ऑपरेशन होते है। प्री मैच्योर बच्चों के लेकर बुजुर्ग व्यक्तियों तक के आंखों संबंधित विभिन्न बीमारियों के ऑपरेशन किये जा रहे है। यह हॉस्पिटल 60 बिस्तरीय है, जिसमें 40 सामान्य मरीजों के लिए, 12 प्राइवेट वार्ड, 8 प्री और पोस्ट ऑपरेशन मरीजों के लिए, 4 बिस्तर इमरजेंसी वार्ड के रूप में है। यहां 6 मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर है। इस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डी. के. शर्मा ने बताया अत्याधुनिक मशीनों की उपलब्धता वाले इस अस्पताल में करीब 7 करोड रुपये मूल्य की चश्मा उतारने की मशीन है। इस अस्पताल में आंखें की विभिन्न बीमारियों के इलाज हेतु 10 स्पेशलिटी नेत्र चिकित्सक है और करीब 100 पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ है। इन्दौर स्थित यह नेत्र चिकित्सालय प्रदेश का एक मात्र शासकीय सुपर स्पेशलिटी नेत्र चिकित्सालय है।

लेखक:- डॉ. डी. के. शर्मा*

(अधीक्षक, उत्कृष्ट आई हॉस्पिटल एमजीएम इंदौर है )