श्रीलंका की तरह मालदीव भी चीन के कर्ज के जाल में उलझा
माले। श्रीलंंका के बाद अब मालदीव भी चीन के कर्ज के जाल में फंसने जा रहा है। ताजा किए गए समझौते के बाद अब मालदीव पूरी तरह से चीन के हाथों में आने वाले समय में चला जाएगा।
चीन के कर्जजाल में पहले से ही उलझे मालदीव ने बीजिंग के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें मालदीव को और अधिक वित्तीय सहायता देने पर सहमति बनी है। नए समझौते के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह मालदीव के बढ़ते कर्ज के बारे में उससे सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है और वित्तीय सहयोग बढ़ा रहा है।
मालदीव इस समय भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। इसका बड़ा हिस्सा चीन से लिया गया है। चीन परस्त मोहम्मद मुइज्जू के आने के बाद मालदीव की अर्थव्यवस्था लगातार संकट में हैं। हाल के महीनों में यह चिंता बढ़ गई है कि नकदी की कमी से जूझ रहा मालदीव इस्लामिक संप्रभु कर्ज पर डिफाल्ट होने वाला पहला देश बन सकता है। हालांकि, मालदीव सरकार ने गुरुवार को प्रतिबद्धता जताई की वह अगले महीने 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करने में विफल नहीं होगा। विश्व बैंक के अनुसार, मालदीव का सबसे बड़ा कर्जदाता चीन है। मालदीव के ऊपर बीजिंग का कर्ज बढ़कर 1.3 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
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