एक साल में बढ़े डॉग बाइट के 20 प्रतिशत मामले
30 हजार की नसबंदी होना शेष, रोज सामने आ रहे शिकार
इंदौर। शहर में डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस साल मामलों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लाल अस्पताल में रोजाना 400 से 500 शिकार उपचार के लिए आ रहे हैं। इससे अस्पताल में शिकारों की कतार लगी रहती है। निगम ने मामलों पर अंकुश लगाने नसबंदी प्रक्रिया शुरू की है। अब तक पौने दो लाख कुत्तों की नसबंदी होने का दावा किया जा रहा है। 30 हजार की नसबंदी होना शेष है। कुत्तों के शिकार अधिकांश छोटे बच्चे होते हैं। पिछले दिनों खजराना क्षेत्र में बच्चे को कुत्ते ने बुरी तरह नोंच लिया था, जिससे 20 से अधिक टांके आए थे।
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कुत्तों की नसबंदी पर हर साल निगम लाखों रुपए खर्च करता है। कुछ दिन मुहिम चलाकर उसे विराम दे देता है, जिससे फिर शिकार सामने आने लगते हैं। पेट भरने के लिए कई बार कुत्ते राहगीरों पर लपक जाते हैं। लाल अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से अब तक 15 हजार शिकार सामने आ चुके हैं। कई बार इतने मरीज सामने आ जाते हैं कि उन्हें दूूसरे दिन बुलाना पड़ता है। डॉक्टरों को भी अतिरिक्त समय में पीडि़तों का उपचार करना पड़ता है। कुत्तों के शिकार अधिकांशतया गरीब और मध्यम वर्ग के होते हैं। निगम ने कुत्तों को पकडऩे की मुहिम को कई महीनों से विराम दे रखा है, जिससे कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। स्थिति यह है कि रोजाना 10 से 12 लोग इनके शिकार हो रहे हैं। खासकर रात के समय कुत्ते लोगों को काट रहे हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि कुत्तों के लपकने से वाहन चालक दुर्घटना का भी शिकार हो जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि मांस दुकानदार गंदगी नालों और चेम्बर की बजाए कई बार खुले में फैंक देते हैं। मांस के लिए कुत्ते जमा होते हैं और वे कुछ लोगों को शिकार बना लेते हैं।